सुबह नौ बजे से है राखी बांधने का मुहूर्त
लंबे समय के बाद इस बार रक्षाबंधन पर्व पर विशेष संयोग बन रहा है।
सावन के आखिरी सोमवार पर श्रावणी पूर्णिमा व श्रावण नक्षत्र का महासंयोग है।
रक्षाबंधन पर यह संयोग बहुत ही लाभदायक होंगे।
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि तीन अगस्त को सुबह 07:33 बजे तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, उसके बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा और सुबह 08:28 बजे तक भद्रा रहेगा।
सुबह 08:29 बजे के बाद रात 08:20 बजे पूॢणमांत तक रक्षाबंधन का पुनीत कार्य किया जाएगा।
विभिन्न शाखाओं के वैदिक ब्राह्मण श्रावणी उपाकर्म नदियों में स्नान करते हुए विधि विधान एवं वैदिक रीति से करेंगे।
सोमवार को सुबह 07:30 से 09:00 बजे तक राहुकाल रहेगा, इसके बाद राखी बांधना अति उत्तम रहेगा। कहा कि राखी को सही समय पर सही विधि से बांधना चाहिए।
भाई को पूरब दिशा की तरफ मुंह करके बैठाना चाहिए। पूजा की थाली में चावल, रोली, राखी, दीपक रखें। अनामिका अंगुली से टीका कर चावल लगाने चाहिए।
अक्षत अखंड शुभता को प्रदर्शित करते हैं। उसके बाद भाई की आरती उतारनी चाहिए और उसके जीवन की मंगल कामना करनी चाहिए।
लंबे समय के बाद इस बार रक्षाबंधन पर्व पर विशेष संयोग बन रहा है।
सावन के आखिरी सोमवार पर श्रावणी पूर्णिमा व श्रावण नक्षत्र का महासंयोग है।
रक्षाबंधन पर यह संयोग बहुत ही लाभदायक होंगे।
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि तीन अगस्त को सुबह 07:33 बजे तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, उसके बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा और सुबह 08:28 बजे तक भद्रा रहेगा।
सुबह 08:29 बजे के बाद रात 08:20 बजे पूॢणमांत तक रक्षाबंधन का पुनीत कार्य किया जाएगा।
विभिन्न शाखाओं के वैदिक ब्राह्मण श्रावणी उपाकर्म नदियों में स्नान करते हुए विधि विधान एवं वैदिक रीति से करेंगे।
सुबह सात से नौ बजे तक राहुकाल रहेगा
सोमवार को सुबह 07:30 से 09:00 बजे तक राहुकाल रहेगा, इसके बाद राखी बांधना अति उत्तम रहेगा। कहा कि राखी को सही समय पर सही विधि से बांधना चाहिए।
भाई को पूरब दिशा की तरफ मुंह करके बैठाना चाहिए। पूजा की थाली में चावल, रोली, राखी, दीपक रखें। अनामिका अंगुली से टीका कर चावल लगाने चाहिए।
अक्षत अखंड शुभता को प्रदर्शित करते हैं। उसके बाद भाई की आरती उतारनी चाहिए और उसके जीवन की मंगल कामना करनी चाहिए।
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